जिसने हमको चाहा उसे हम चाह न सके,
और जिसको हमने चाहा उसको हम पा न सके।
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता