Din kuch aise
guzaarta hai koi,
Jaise ehsaas
utaarta hai koi
Aaina dekh kar tasalli hui,
Humko iss ghar mein
jaanta hai koi...
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
“इल्म तो मिलता रहेगा बाद में भी मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और महके हुए रुक़्के किताबें मांगने, गिरने, उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे उनका क्या होगा?”
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद..दूसरा सपना देखने के हौसले को 'ज़िंदगी' कहते हैं..