तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय
हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं |
मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं
उनके लिए जब हमने भटकना छोड़ दिया,
याद में उनकी जब तड़पना छोड़ दिया,
वो रोये बहुत आकर तब हमारे पास,
जब हमारे दिल ने धडकना छोड़ दिया
उसके नर्म हाथों से फिसल जाती है चीज़ें अक्सर ….,
मेरा दिल भी लगा है उनके हाथो , खुदा खैर करे …