पत्ते गिर सकते है पर पेड़ नहीं
सूरज दुब सकता है पर आसमान नहीं
धरती सुख सकती है पर सागर नहीं
तुम्हे दुनिया भूल सकती है पर हम नहीं ।।
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,
पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।
सर्दी के मौसम का मजा अलग सा है,
रात मे रजाई का मजा अलग सा है.
धुंध ने आकर छिपा लिया सितारों को,
आपकी जुदाई का ऐहसास अब अलग सा है
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती,नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती,तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है,फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती.
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये