माँ-बाप के लिए क्या शेर लिखूं,
माँ-बाप ने मुझे खुद शेर बनाया हैं।
किसी गरीब की झोली में,
जब मैंने एक सिक्का डाला,
तब पता चला कि –
महंगाई के इस दौर में,
दुआएं, आज भी कितनी सस्ती हैं।
दो लड़के मिलते हैं
पहला : तूने मेरी Girlfriend को क्यों प्रपोज किया ?
दूसरा : देख भाई…
जब तक लड़की कुंवारी है
न हमारी है, न तुम्हारी है
बस सरकारी है
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”
यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है!
तो एक अकेला जुगनू भी सब अंधकार हर लेता है!!