हज़ारो बातें मिल कर एक राज़ बनता है
सात सुरों के मिलने से साज़ बनता है
आशिक़ के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता
और हसीनाओ के मरने पर ताज़ बनता है
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
दर्द हैं दिल में पर इसका ऐहसास नहीं होता,
रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता,
बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में,
और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता!