वो जिंदगी ही क्या जिसमें मोहब्बत नहीं,
वो मोहब्बत ही क्या जिसमें यादें नहीं,
वो यादें ही क्या जिसमें तुम नहीं,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नहीं।
लाखों तूफान उठे है इस दिल में
तुजे देखने के बाद
काश
जुल्फों की काली घटाओं से ढक पाऊ
ये चाँद सा चेहरा तेरा
Daag Gulami Ka Dhoya Hai Jaan Luta Kar,
Deep Jalaye Hai Kitne Deep Bhujha Kar,
Mili Hai Jab Yeh Azadi To Fir Is Azadi Ko.
Rakhna Hoga Har Dushman Se Aaj Bachakar.
Labo se tut gaye guftagu ke sab rishte
wo dekhta hei to bas dekhta hi rahta hei..
जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने
अभी तो सारा आसमान बाकी है…