अगर मेरी चाहतों के मुताबिक, जमाने में हर बात होती..!
तो बस मैं होता वो होती, और सारी रात बरसात होती..!!
मुझे मार ही ना डाले इन बादलों की साज़िश, ये जब से बरस रहे हैं तुम याद आ रहे हो ।
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी
क्रोध हवा का वह झोंका है
जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है
रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो उन्हें
तोड़ना मत क्योंकि पानी चाहे
कतना भी गंदा हो अगर
प्यास नहीं बुझा सकता
पर आग तो बुझा सकता है
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये।
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती