बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई,
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई.
जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं
केवल उन्हीं का जीवन सफल है,
अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती
और ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है