बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई,
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई.
मुक्तसर सी ज़िन्दगी है मेरी तेरे साथ जीना चाहता हूँ,कुछ नहीं मांगता खुदा से बस तुझे मांगता हूँ.
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
शत्रु को सदैव भ्रम में रखना चाहिए ।
जो उसका अप्रिय करना चाहते हो तो उसके साथ सदा मधुर व्यवहार करो
उसके साथ मीठा बोलो । शिकारी जब हिरण का शिकार करता है
तो मधुर गीत गाकर उसे रिझाता है, और जब वह निकट आ जाता है,
तब वह उसे पकड लेता है
एक रोस उनके लिएजो मिलते नही रोज़-रोज़,मगर याद आते है हर रोज़ |