अपनी तकदीर जगाते हैं मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से |
हमसफ़र खूबसूरत नहीं
बल्कि सच्चा होना चाहिए
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।
आपके हाथों से कोई छीन सकता है
लेकिन जो नसीब में है उसे कोई नहीं छीन सकता...