Aankhon Ko Koi Khwaab Tou Dikhayi De Tabeer Me Imam Ka Jalwa Dikhayi De Aye ! Ibn-E-Murtuza Tere Saamne Suraj Bhi Ek Chota Sa Zarra Dikhayi De.
हो सकता है हर दिन अच्छा ना हो,
लेकिन हर दिने में कुछ न कुछ अच्छा होता है।
आपका दिन शुभ हो।
विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए,
क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता
एक रोस उनके लिएजो मिलते नही रोज़-रोज़,मगर याद आते है हर रोज़ |
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये।