सजदा से करबला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्मत को जिंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को जिंदगी मिल गई.
चलो ज़िन्दगी को जिंदादिली से जीने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं,
रोज़ कुछ अच्छा याद रखते हैं, और कुछ बुरा भूल जाते हैं।
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
न हो तो रोती हैं जिदे, ख्वाहिशों का ढेर होता हैं,
पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं.
ईश्वर कहते हैं उदास न हो,
मैं तेरे साथ हूँ, सामने नहीं आस पास हूँ,
पलकों को बंद कर और दिल से यादकर,
में कोई और नहीं, तेरा विश्वास हूँ।