ये बदमाशी की बातें सोच समझ कर किया कर बेटे,
क्योंकि जिन किताबों से तूने सीखा है वो किताब मैंने ही लिखी है !
उमीद तो हमने ये की थी,
में राँझा तेरा तू मेरी हीर बने,
पर शायद खुद को ये मंज़ूर न था,
की तू मेरी तकदीर बने!
तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ,जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ,मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह,तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ।
ये दबदबा,ये हुकुमत,ये नशा, ये दौलतें………
सब किरायदार है, घर बदलते रहते हैं……
Dil hi dil mein hum unse pyar karte hain
Aaj es propose day pe apni mohabbat ka izhar krte hain.