जो मेरे मुक्कदर में है वो खुद चल कर आएगा,
जो नहीं है उसे अपना खौफ लाएगा !
चौदहवीं रात के इस चाँद तलेसुरमई रात में साहिल के क़रीब दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।
उसके इकरार का इंतजार है मुझे
जाने क्यूँ उससे इतना प्यार है मुझे
ऐ खुदा कब आएगा वो हसीन पल
जब वो खुद कहेगी जान तुमसे प्यार है मुझे
दिल में क्या फूल खिला करते थे,
अपना घर सजाने की खातिर,
हम उसका नाम लिखा करते थे,
कल उसे देखा तो याद आया
हम भी कभी मोहब्बत किया करते थे!!