मोहब्बत से देख लो अगर,
तो यूँ ही मर जायेंगे,
हर सितम ढाना,
जरूरी तो नहीं…
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!
बड़ी गरज से चाहा है तुझे
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे
तुझे भूलने की सोचूं भी तो कैसे
किस्मत की लकीरों से चुराया तुझे
ऐसा लगता है, हर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे दिया है
मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान अक्सर
मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है।