लेके चले थे तूफान ठोकरों का डर ना था
संग था कारवां बिछड़ने का गम ना था
अर्ज़ी थी साथ रहने की उम्र भर लेकिन मिलने का वक़्त ना था
कोशिश तो बोहत की मगर नज़रें मिलाने का दम ना था
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा
ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये
Labo se tut gaye guftagu ke sab rishte
wo dekhta hei to bas dekhta hi rahta hei..
कुछ इस तरह से नव वर्ष की शुरुआत होगी,
चाहत अपनों की सबके साथ होगी,
न फिर गम की कोई बात होगी,
क्योंकि नये साल में खुशियों की बरसात होगी
हैप्पी न्यू ईयर 2021
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे !!
बारिश में भीग के आये थे मिलने , शायद वो आंसु छुपा रहे थे !