बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता,में होश में होकर भी अंजान नही होता,ये प्यार ना होता, किसी पत्थर दिल से,या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता!
वो भी दिन थे जब हम भी पिया करते थे,
यूँ न करो हमसे पीने पिलाने की बात,
जितनी तुम्हारे जाम में है शराब,
उतनी हम पैमाने में छोड़ दिया करते थे।
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!