इंसान को हमेशा मृदु भाषी लोगों ही कष्ट पहुंचते हैं,
क्योंकि सत्य और कड़वा बोलने वालों को तो खुद ही हम दूर कर देते हैं.
जिसने अपनी इच्छाओं पर काबू पा लिया,
उस मनुष्य ने जीवन के दुखों पर काबू पा लिया..!!
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए,
क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता