अपने मेयार से नीचे तो मैं आने से रहा
शेर भूखा हो मगर घास तो खाने से रहा
कर सको तो मेरी चाहत का यकीन कर लेना
अब तुम्हें चीर के मैं दिल तो दिखाने से रहा
तेरी आवाज़ सुनने को तरसे है मन मेरा,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है मन मेरा,
अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा तेरे साथ गुजारु,
हर पल बस यही चाहता है मन मेरा!!
Vo samjhta hai ki har shakhs badal jata hai…..
Ussey lagta hai zamana us ke jaisa hai….
Labo se tut gaye guftagu ke sab rishte
wo dekhta hei to bas dekhta hi rahta hei..
उम्र ने तलाशी ली, तो जेबों से लम्हे बरामद हुए..कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे..