ननिहाल की एक बात बहुत अच्छी लगती है,
वहाँ लोग हमें हमारी माँ के नाम से पहचानते है
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए,
क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता
हे ईश्वर… बस एक छोटी सी दुआ है,
जिन लम्हों में, मेरे अपने मुस्कुराते हो…
वो लम्हे कभी ख़त्म न हो…
सारे सबक किताबों में नहीं मिलते यारो
कुछ सबक जिंदगी भी सिखाती है