मतलब की बात सब समझ लेते है
लेकिन बात का मतलब बहुत कम लोग ही समझ पाते है।
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।
Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,,
Qasam tumhari tumhen itna pyar karte hain..
उमीद तो हमने ये की थी,
में राँझा तेरा तू मेरी हीर बने,
पर शायद खुद को ये मंज़ूर न था,
की तू मेरी तकदीर बने!
ज़िन्दगी में बार बार सहारा नहीं मिलता,
बार-बार कोई प्यार से प्यारा नहीं मिलता,
हे जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो कभी दुबारा नहीं मिलत