ज़िन्दगी की हर शाम तेरे लिए
ये महफ़िल ये शहर ये नाम तेरे लिए
तू मुस्कुराती रहे हमेशा तारो की तरह
हर सुबह बस यही मेरा पैगाम तेरे लिए
Good Morning Dear
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब,कि सारी उम्र हम अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे।
ग़म न कर ज़िन्दगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खुद खड़ी है…
धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती ,
रात ढलती नहीं थम जाती है.
सर्द मौसम की एक दिक्कत है ,
याद तक जम के बैठ जाती है....
Akele hai to kya hua,Ye zindgi bhi guzar jayegi….
Hum apni tanhai mitane ke liye kisi ko majbur nahi karte…