हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
अगर आए तुम्हे हिचकियाँ,
तो माफ़ करना मुझे,
क्योंकि इस दिल को आदत है,
तुम्हे याद करने की…
हमारे हर सवाल का सिर्फ एक ही जवाब आया,
पैगाम जो पहूँचा हम तक बेवफा इल्जाम आया।
सोचा था तुझपे प्यार लुटाकर तेरे दिल में घर बनायेंगे…..हमे क्या पता था दिल देकर भी हम बेघर रह जाएँगे.…..
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये