तन में मस्ती, मन में उमंग, देकर सबको अपनापन,
गुड़ में जैसे मिठापन, होकर साथ हम उड़ाए पतंग,
भर दे आकाश में अपने रंग..
Happy Makar Sankranti
एक आस, एक एहसास, मेरी सोच और बस तुम,एक सवाल, एक मजाल, तुम्हारा ख़याल और बस तुम,एक बात, एक शाम, तुम्हारा साथ और बस तुम,एक दुआ, एक फ़रियाद, तुम्हारी याद और बस तुम,मेरा जूनून, मेरा सुकून बस तुम और बस तुम
ज्ञानी इंसान कभी घमण्ड नहीं करता
और जिसे घमंड होता है ज्ञान उससे कोसों दूर रहता है
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं