कुछ यूँ तुम मोहब्बत का आगाज़ कर दो,
मेरी ज़िन्दगी में प्यार का एहसास भर दो,
छुप-छुप के देखा करो दूर से हमें,
गुजरो करीब से और नजर-अंदाज़ कर दो।
मुझको फिर वही सुहाना नजारा मिल गया,
इन आँखों को दीदार तुम्हारा मिल गया,
अब किसी और की तमन्ना क्यूँ मैं करूँ,
जब मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा मिल गया।
आप खुद नही जानती आप कितनी प्यारी हो,
जान तो हमारी पर जान से प्यारी हो,
दूरियों के होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
आप कल भी हमारी थी आज भी हमारी हो!!
चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे देंइससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपने धड़कते हुएअरमानों एक सुरमई शाम दे दें !
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।