घर बना कर वो मेरे दिल में छोड़ गया है
न खुद रहता है न किसी और को बसने देता है
आज हम उनको बेवफा बताकर आए है,उनके खतो को पानी में बहाकर आए है,कोई निकाल न ले उन्हें पानी से..इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए है।
इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है,
गम देके वो पूछे हैं कोई गम तो नहीं है,
चल मान लिया तेरा कोई दोष नहीं है,
हालांकि दलीलों में तेरी दम तो नहीं है
आदत है या तलबइश्क है या चाहततू दिल मे है या साँसों मेतू दीवानगी है या मेरी आशिकीतू ज़िन्दगी है या फिर एक किस्सापर जो भी है सिर्फ तू है
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं