कहाँ ढूंढोगे मुझको, मेरा पता लेते जाओ,
एक कब्र नई होगी उस पर जलता दिया होगा।
मतलब की दुनिया थी इसलिए छोड़ दिया सबसे मिलना,
वरना ये छोटी सी उम्र तन्हाई के काबिल नही थी।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे,हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि,हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,आप खुश रहें, मेरा क्या है..मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
तरस जाओगे हमारे मुँह से सुनने को एक लव्ज़
प्यार की बात क्या, हम शिकायत भी ना करेंगे…