लिया हो जो न आपने ऐसा कोई इम्तिहान न रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा,
है कोई बस्ती जहाँ से न उठा हो जनाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रिस्तान न रहा।
प्यार तो सब करते हैं पर हम जैसे नहीं
धोखा लोग देते हैं हम नहीं
एक बार प्यार करके तो देखो
हम सच्चे आंशिक हैं बेवफा नहीं
Kabhi udaas ho jayo
to btana tumhay
fir se apna dil denge
tumhe khelne k liye
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,
और घर देर तक महकता रहा।
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।