न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके कब्र ज़ालिम,
यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे,हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि,हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
टूटे हुए दिलो की जरुरत बहुत हैंवरना महफ़िल में रंग जमायेगा कौनजब टूटेगा ही नहीं दिल किसी कातो मयखाने में पीने आएगा कौन.
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो;मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो;मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना;मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।
इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है,
गम देके वो पूछे हैं कोई गम तो नहीं है,
चल मान लिया तेरा कोई दोष नहीं है,
हालांकि दलीलों में तेरी दम तो नहीं है