मोहब्बत मैं कुछ ऐसा कर जाना ही बनता है
मैं जिन्दाहूँ मगर मेरा मर जाना बनता है
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,
जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता।
हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए,
हम मरते गए उनकी बेरुखी से, और वो हमें आजमाते गए,
सोचा की मेरी बेपनाह मोहब्बत देखकर सीख लेंगी वफाएँ करना,
पर हम रोते गए और वो हमें खुशी खुशी रुलाते गए..
वो साथ थी तो मानो जन्नत थी जिंदगी दोस्तों,
अब तो हर सांस जिंदा रहने कि वजह पूछती है।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा