वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते
अगर तुम अपने पापा की “परी”हो, तो हम भी अपने बाप के “नवाब” है !
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
हमे बेवफा बोलने वाले
आज तू भी सुनले,
जिनकी फितरत ‘बेवफा’
होती है,
उनके साथ कब ‘वफा’ होती है!!