वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
कौन याद रखता हैं गुजरे हुए वक़्त के साथी कोलोग तो दो दिन में नाम तक भुला देते हैं |
अगर तुम अपने पापा की “परी”हो, तो हम भी अपने बाप के “नवाब” है !
मतलब की दुनिया थी इसलिए छोड़ दिया सबसे मिलना,
वरना ये छोटी सी उम्र तन्हाई के काबिल नही थी।