आता हूँ महाकाल तेरे दर पे, अपना शिर्ष झुकाने को,
100 जन्म भी कम हैं भोले, अहेसान तेरा चुकाने को।
ख्यालो में वही, सपनो में वहीलेकिन उनकी यादो में हम थे ही नहींहम जागते रहे दुनिया सोती रही,एक बारिश ही थी, जो हमारे साथ रोती रही..
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं,
हमने क्या आसूं पिए की मौसम रो पड़े!
Badal jab garajte hain, dil ki dharkan badh jati hai,
Dil ki har ek dharkan se awaz tumhari aati hai.
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !