“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.
शत्रु को सदैव भ्रम में रखना चाहिए ।
जो उसका अप्रिय करना चाहते हो तो उसके साथ सदा मधुर व्यवहार करो
उसके साथ मीठा बोलो । शिकारी जब हिरण का शिकार करता है
तो मधुर गीत गाकर उसे रिझाता है, और जब वह निकट आ जाता है,
तब वह उसे पकड लेता है
माँ ने कहा था कभी किसीका दिल मत तोडना,,इसलिए हमने दिल को छोड के बाक़ी सब तोड़ा !!
क्रोध हमेशा मनुष्य को तब आता है
जब वह अपने आप को कमज़ोर और हारा हुआ पाता है