तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है बहोत, मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते होतो फिर ये बताओ कि तुम उसकी आंखों के बारे में क्या जानते हो?
ये ज्योग्राफियाँ, फ़लसफ़ा, साइकोलोजी, साइंस, रियाज़ी वगैरहये सब जानना भी अहम है मगर उसके घर का पता जानते हो?
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
उसको चाहा पर इजहार करना नही आया,
कट गयी उम्र हमें प्यार करने नही आया,
उसने कुछ माँगा भी तो मागी रजाई,
और हमे इंकार करना नही आया....
कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना,
क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में
ज़बरदस्ती नहीं होती!
मेरी बर्बादी पर तू कोई मलाल ना करना,भूल जाना मेरा ख्याल ना करना,हम तेरी ख़ुशी के लिए कफ़न ओढ़ लेंगे,पर तुम मेरी लाश ले कोई सवाल मत करना!