बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक हैवैसे सुनने में यही आया है रस्ता ठीक हैशाख से पत्ता गिरे, बारिश रुके, बादल छटेंमैं ही तो सब कुछ गलत करता हूँ अच्छा ठीक है
तू मुहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो अब तक बाँहों में होती
इत्तेफाक से तो नहीं,
हम दोनों टकराये
कुछ तो साजिश
खुदा की भी होगी
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
हर सुबह आपको असल दें, हर फूल आपको मुस्कान दें,
हाँ दुआ करते हैं कि खुदा आपको नए सवेरे के साथ,
कामयाबी का नया आस्मां दे….