ऐ सुबह तू जब भी आना ….
शीयों की सौगात अपने संग लाना
मिट जाए रात काली गम की…
रंग जीवन में सबके कोई ऐसा जमाना
सुप्रभात – शुभदिन
तेरे बाद हमने इस
दिल का दरवाजा खोला ही नहीं
वरना बहुत से चाँद आये
इस घर को सजाने के लिए
जिस प्रभात से, परमात्मा का स्मरण हो जाये,
वह प्रभात, सुप्रभात हो जाता है।
आँखों में मंज़िलें थी
गिरे और सँभालते रहे..
आँधियों में क्या दम था
चिराग हवा में भी जलते रहे…
Magar
rani sirf badsah ki hi hoti haii..