अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
तुम्हे हक है अपनी जिन्दगी जैसे चाहे जीयो तुम,
ज़रा एक पल के लिये सोचना मेरी ज़िन्दगी हो तुम….॥
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया
दोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
ना जाने क्या अपनापन हैं तेरी बातों में,
के हर पल ये दिल… ❤
तुम्हें मिलने के लियें पागलपन करता हैं…