"ग़र जुदाई से खुश हो,तो जुदाई माँग लेता,
मुझसे तेरी नासाज तबीयत ना मांगी जायेगी l"
इतने हसीं चेहरे को देख कर चाँद भी सरमा गया,
आया मेरे पास और चुपके से फार्मा गया,
की जा रहा हु मैं छुपाने को अपनी ये खूबसूरती,
क्यों की मुझ से भी हसीन कोई आया और इस जहां पर छा गया
उसके साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी,उससे बात करते करते हमे आदत सी हो गयी,एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है,दोस्ती निभाते निभाते हमे मोहब्बत सी हो गयी!
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था ।
“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”