वो किसी अखबार में किस्सा हो जाये,कभी मेरे मोह्हबत का भी हिस्सा हो जाये l
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
चलो फ़िर से हौले से मुस्कुराते हैं,बिना माचिस के ही लोगों को जलाते हैं।
मुझे अपने कल की फ़िक्र आज भी नहीं है
लेकिन तुझे पाने की चाहत क़यामत तक रहेगी
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।