कुछ तुम को भी है अज़ीज़ अपने सभी उसूल,कुछ हम भी इत्तफाक से ज़िद के मरीज़ है
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..
यूं तो तेरी महफिल में हमे चाहने वालो की कमी नहीं,पर हम तुझे चाहने में कोई खता करें ये भी तो हमें गवारा नही।
पलकों से रास्ते के काटे हटा देंगे,
फूलों को क्या हम अपना दिल बिछा देंगे।
टूटने ना देंगे अपनी दोस्ती को कभी,
बदले में हम खुद को मिटा लेंगे।।
Jis ke naseeb mein hon zamaney ki thokarein…!!
Us bad-naseeb sey na sahar’on ki baat ker…