ये दूरियाँ कब मोह्हबत,
कम कर पाती है,
यादें तो बेहिसाब,
तन्हाई में आती है l
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
लोग पूछते हैं हमसे
कि तुम अपने प्यार का इज़हार क्यों नहीं करते;
तो हमने कहा जो लफ़्ज़ों में बयां हो जाए
हम उनसे प्यार उतना नहीं करते…
Yun To Sapne Bahut Hasi Hote Hai, Par Sapno Se Pyaar Nahi Karte, Chahate To Tumhe Hum Aaj Bhi Hai, Bas Izhar Nahi Karte!
Beshak tumne mujhe thukra diya hai,
Mat sochna ke humne tumhe bhula diya hai,
Teri chahat pe aaj bhi bharosa hai,
Ye to meri kismat ne mujhe daga diya hai..!!