बड़ा नेक रिश्ता है फेफड़ों का पेड़ों के साथजो एक का उत्सर्ग है वही दूसरे का आहार
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
मुहब्बत खूबसूरत होती होगी किसी और ज़माने में
हमपे जो गुजरी है वो हम ही जानते हैं
Chalo Baant Lete Hein Kuch
Is Tarah Se Duniya Saari
Chalo Sab Kuch Tum Rakh Lo,
Ek Bus Tum Hamaare..!!
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है