"बदल जाते है दिन, नया सवेरा आता है,वो शख्स, ना जाने क्यों साथ चला आता है,खुशियों के कदम तो चले, वो चार थे,ग़म का कारवाँ है देखो, खत्म नहीं हो पाता हैl"
दोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
आज एक स्वेटर और पहन लो,
आज एक रज़ाई और ओढ़ लो,
आज एक मफ़लर और लपेट लो,
आज दो मोज़े और पहन लो,
आज एक कहवा और पी लो,
आज एक हीटर और चला लो,
क्या पता…
कल ठण्ड हो न हो…!!!
Happy Winter
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.