"शिकायत करूं, तो नाराज़ हो जाती है,उम्मदगी में अपनी, मैं हार जाता हूँ,मोह्हबत है, और फ़िक्र भी ना आए,ऐसी जिल्लत वाली इश्क़ में मर जाता हूँ l"
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब,कि सारी उम्र हम अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे।
लगता है मैं 💁🏻♂️भूल चुका हूँ मुस्कुराने 🤗 का हुनर…
कोशिश जब भी करता हूँ आँसू 😥 निकल आते हैं..!
इस रिश्ते को ऐसे ही बनाये रखना
दिल में अपनी यादों के चिराग जलाये रखना
बहुत प्यारा सफर रहा 2020 में आपके साथ
बस ऐसा ही 2021 में भी बनाये रखना।
नए साल की शुभकामनाएं
लम्हे वो कुछ खास होते है…तू जो मेरे पास होती है…बाहों में तेरा कुछ होता ऐसा एहसास है..डेरी मिल्क और पार्क की जो मिठास है…!