अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ परसो जाऊं तो उठा देती हैं जाग जाऊँ तो रुला देती है
ये मुहब्बत कब, किससे हो जाये इसका अंदाजा नहीं होता
ये वो घर है जिसका कोई दरवाजा नहीं होता
Acha hua maloom ho gaya,
Apno ki mohabbat ab mohabbat nahi rahi,
Warna hum toh apna ghar bhi chhod rahe they,
Unke dil main rehne ke liye
जिन फूलों को संवारा था
हमने अपनी मोहब्बत से,
हुए खुशबू के काबिल तो
बस गैरों के लिए महके।
कमाल तेरे नखरे,
कमाल का तेरा स्टाइल है;
बात करने की तमीज नहीं,
और हाथ में मोबाइल है!!
😄😄😄😄😝😝