रात का अंतिम ख्याल,सुबह की प्रार्थना सा,साथ रहती हो तुम l'हाँ' सपनों में नहीं आती,मुझे कभी-कभी सोने,भी नहीं देती हो तुम l
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
सब कुछ झूठ है
लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है…
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है
Meri yadon se agar bach niklo to waada mera hai tumse,
Main khud duniyaa se keh doon ga ke kammi meri wafaa mein thi..!
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..