थोड़ा संभल कर चलते है,थोड़ा लापरवाह हो जाते है,डरते थे जिस राह, जाने में,उसी सफ़र में खो जाते है l
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
भरोसा क्या करना गैरों पर,जब गिरना और चलना है अपने ही पैरों पर।
आओ झुक के सलाम करें उनको,जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,खुशनसीब होता है वो खून,जो देश के काम आता है.
लाखों तूफान उठे है इस दिल में
तुजे देखने के बाद
काश
जुल्फों की काली घटाओं से ढक पाऊ
ये चाँद सा चेहरा तेरा