कब आया, कब चला गया,कोई लुढ़कता सामान हो जाता हूँ,पेट की आग बुझाने को,रहता हूँ घर से दूर,कब आया, कब चला गया,अपने घर में भी, मेहमान हो जाता हूँ l
Winter Ka Zamana Hai,Msg Karke Apko Satana Hai,Mmusam Bhi Diwana Hai,2-4 Msg Aap Bhi Kar Do,Kya..Balance Bacha KNaya Sweter Lana Hai.
“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”
Din Me Deepak Jalane Se Kya Hoga ,
Raakh Me Aag Lagane Se Kya Hoga,
Jab Aapko Aati Hi Nahi Hamari Yaad,
Toh Phir Yaad Dilane Se Kya Hoga?
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा