"कभी बैठो, किसी सुबह,तो तुम्हें बताते है..प्याली से उठते भाप से,तुम्हारा नाम लिख जाते है l"
ख़ुशियों की ख़ातिर हमने कितने क़र्ज़ उतार रक्खे हैं
ज़िंदगी फिर भी तूने हमपे कितने दर्द उतार रक्खे हैं
मासूम अगर होता तो सब मिलके लूट लेते
जाने किस अपने ने मेरे दुश्मन उतार रक्खे हैं
ज़िंदगी तेरे बिना अब कटती नहीं है…
तेरी याद मेरे दिल से मिटती नही…
तुम बसे हो मेरी निगाहो में…
आँखो से तेरी सूरत हटती नही!!
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से