मेरे बाएँ बाँह पे उनका सर हो,उनका बायाँ हाँथ मेरे सीने पर lफिर हर बात भूल जाता हूँ,अगली सहर होने तक l
शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ
लिपट जाओ एक बार फिर गले हमारे,
कोई दीवार न रहे बीच हमारे तुम्हारे,
लिपट जाती जरूर अगर ज़माने का दर न होता,
बसा लेती मैं तुमको अगर सीने में कोई घर होता..
कुछ लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ |
अब तुम याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,
हसते लबों से ऐसे सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ |
ख़ुदा करे कि तुमको “जुदाई” न मिले,
कभी भी तुमको “तन्हाई” ना मिले,
मुझे “Message” ना करो तो कुछ ऐसा हो,
कि मौसम हो सर्दी का और तुमको “रजाई” ना मिले…